कहावतें
Direction: निम्नलिखित लोकोक्तियों के सही अर्थ का चयन उनके नीचे दिए गए चार विकल्पों में से कीजिए।
- गए थे रोजा छुड़ाने, नमाज गले पड़ी
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NA
सही विकल्प: D
गये थे रोजा छुड़ाने, नमाज गले पड़ी का अर्थ ' उपकार करने के बदले स्वयं को दुःख भोगना ' है। वाक्य प्रयोग- गली में लड़ाई हो रही थी मामले को सुलझाने गया था। लेकिन मुझे भी दो-चार हाथ लग गये। यह तो गये थे रोजा छुड़ाने, नमाज पड़ी गले वाली बात हुई।
- कोई ईर घाट तो कोई बीर घाट
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NA
सही विकल्प: B
कोई ईर घाट तो कोई बीर घाट का अर्थ है ' ताल-मेल न होना '। वाक्य प्रयोग- स्कूल के वार्षिकोत्सव में मुख्य अतिथि के सम्मान के लिए कोई निश्चित व्यवस्था न देख लोग बोले कोई ईर घाट तो कोई बीर घाट।
- काला अक्षर भैंस बराबर
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NA
सही विकल्प: C
काला अक्षर भैंस बराबर ' अनपढ़ होना '। वाक्य प्रयोग- रमेश तुम्हारा पात्र क्या पढ़ेगा वह काला अक्षर भैंस बराबर है।
- कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है
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NA
सही विकल्प: B
कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है का अर्थ है ' अपनी बनाई हुई वस्तु सबको अच्छी लगती है '। सीताराम हलवाई को अपनी तेल में बनी जलेबियाँ ही स्वादिष्ट लगती हैं बाकी हलवाइयों की हलेबियों को स्वादहीन समझता है। सच है कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है।
- का बरखा जब कृषि सुखानी
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NA
सही विकल्प: C
का बरखा जब कृषि सुखानी का अर्थ है ' काम बिगड़ने पर सहायता व्यर्थ ' है। वाक्य प्रयोग- सोहन की बेटी की बारात दहेज की वजह से वापस लौटी तब मोहन सहायता लेकर पहुँचा, लेकिन का बरखा जब कृषि सुखानी।