वाक्यांशों को उचित क्रम में सजाना
Direction: निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए अनुच्छेदों के पहले और अंतिम वाक्यों में क्रमशः (1) और (6) की संज्ञा दी गई है। इसके मध्यवर्ती वाक्यों को चार भागों में बांटकर (य),(र),(ल),(व) की संज्ञा दी गई है। ये चारों वाक्य व्यवस्थित क्रम में नहीं है। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित कदम चुनिए, जिससे सही अनुच्छेद का निर्माण हो।
- (1) शौर्य आदि गुणों का संबंध मनुष्य के शरीर के साथ नहीं रहता।
(य) शरीर से दुबले पतले आदमी को भी हम अत्यंत वीरता वाले काम करते इसलिए देखते हैं कि उसके भीतर शुरता भरी रहती है।
(र) कहा गया है कि शब्द और अर्थ तो काव्य के शरीर होते हैं तथा रस ही आत्मा के स्थान पर होता है।
(ल) वह आत्मा के साथ ही होता है।
(व) काव्य में भी ठीक यही दशा होती है।
(6) गुण आत्मा अर्थात रस के ही धर्म होते हैं।
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NA
सही विकल्प: A
(1) शौर्य आदि गुणों का संबंध मनुष्य के शरीर के साथ नहीं रहता। (य) शरीर से दुबले पतले आदमी को भी हम अत्यंत वीरता वाले काम करते इसलिए देखते हैं कि उसके भीतर शुरता भरी रहती है। (र) कहा गया है कि शब्द और अर्थ तो काव्य के शरीर होते हैं तथा रस ही आत्मा के स्थान पर होता है। (व) काव्य में भी ठीक यही दशा होती है। (ल) वह आत्मा के साथ ही होता है। (6) गुण आत्मा अर्थात रस के ही धर्म होते हैं।
- (1) विज्ञान का जीवन तीन सौ वर्षों से अधिक नहीं है। कम-से-कम प्रयोगिक विज्ञान के संबंध में यह निश्चय के साथ कहा जा सकता है।
(य) इसलिए विज्ञान के चमत्कारों की चकाचौंध में हमें हम नहीं पडें।
(र) उनसे ऊपर उठकर हम प्रेम, सौहार्द और मैत्री के स्रोत मानवात्मा की ओर मुड़े
(ल) मनुष्य की देह नहीं, उसकी आध्यात्मिक और नैतिक चेतना को धारण करने वाली उसकी आत्मा हमारा लक्ष्य हो।
(व) परंतु मनुष्य जाति का सांस्कृतिक जीवन सहस्त्रों वर्ष पुराना है और उसे छोड़ना असंभव है।
(6) सर्वोदय का सन्देश यही है।
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NA
सही विकल्प: B
(1) विज्ञान का जीवन तीन सौ वर्षों से अधिक नहीं है। कम-से-कम प्रयोगिक विज्ञान के संबंध में यह निश्चय के साथ कहा जा सकता है। (य) इसलिए विज्ञान के चमत्कारों की चकाचौंध में हमें हम नहीं पडें। (र) उनसे ऊपर उठकर हम प्रेम, सौहार्द और मैत्री के स्रोत मानवात्मा की ओर मुड़े (व) परंतु मनुष्य जाति का सांस्कृतिक जीवन सहस्त्रों वर्ष पुराना है और उसे छोड़ना असंभव है। (ल) मनुष्य की देह नहीं, उसकी आध्यात्मिक और नैतिक चेतना को धारण करने वाली उसकी आत्मा हमारा लक्ष्य हो। (6) सर्वोदय का सन्देश यही है।
- (1) अपने देश के कई भागों में इधर-उधर ताम्बा काफी मात्रा में बिखरा पड़ा है।
(य) जमीन के ऊपर बने छेद से तेजाबी घोल डाला जाए तो तांबा इसमें भूल जाएगा।
(र) विस्फोट करने से जमीन के अंदर का ताम्र अयस्क भंडार टूट-फूट जाएगा।
(ल) पाराम्परिक तरीकों से इसे निकालने में बहुत खर्च आएगा।
(व) इसके लिए न्यूक्लियर विस्फोट बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
(6) इस द्रव तांबे को ऊपर खींचा जा सकता है।
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NA
सही विकल्प: C
(1) अपने देश के कई भागों में इधर-उधर ताम्बा काफी मात्रा में बिखरा पड़ा है। (व) इसके लिए न्यूक्लियर विस्फोट बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। (य) जमीन के ऊपर बने छेद से तेजाबी घोल डाला जाए तो तांबा इसमें भूल जाएगा। (ल) पाराम्परिक तरीकों से इसे निकालने में बहुत खर्च आएगा। (र) विस्फोट करने से जमीन के अंदर का ताम्र अयस्क भंडार टूट-फूट जाएगा। (6) इस द्रव तांबे को ऊपर खींचा जा सकता है।
- (1) महात्मा गाँधी के जीवन के मूल मंत्र थे-सत्य और अहिंसा।
(य) उनकी आत्मकथा 'सत्य के प्रयोग' इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
(र) किसी प्रकार की हिंसा का आश्रय लेकर प्राप्त की गई स्वाधीनता भी उन्हें स्वीकार्य न थी।
(ल) अहिंसा से उनका तात्पर्य था-मनसा, वाचा, अहिंसा।
(व) सत्य के बिना वे एक कदम भी आगे बढ़ने को तैयार न थे।
(6) वास्तव में, गांधी को महामानव नहीं, देवताओं की कोटि में रखा जाना चाहिए।
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NA
सही विकल्प: C
(1) महात्मा गाँधी के जीवन के मूल मंत्र थे-सत्य और अहिंसा। (व) सत्य के बिना वे एक कदम भी आगे बढ़ने को तैयार न थे। (य) उनकी आत्मकथा 'सत्य के प्रयोग' इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। (ल) अहिंसा से उनका तात्पर्य था-मनसा, वाचा, अहिंसा। (र) किसी प्रकार की हिंसा का आश्रय लेकर प्राप्त की गई स्वाधीनता भी उन्हें स्वीकार्य न थी। (6) वास्तव में, गांधी को महामानव नहीं, देवताओं की कोटि में रखा जाना चाहिए।
- (1) शिव ने उल्लासतिरेक में जो उद्दाम नृत्य किया था, उसे उनके शिष्य तंड़ मुनि ने याद कर लिया था।
(य) रस भी अर्थ है, भावी भी अर्थ है, परंतु तांडव ने न 'रस' है. न 'भाव'।
(र) 'तांडव' अर्थात तंडू मुनि द्वारा प्रवर्तित 'रस-भाव-विवर्जित' नृत्य।
(ल) नाचने वाले का कोई उद्देश्य नहीं, मतलब नहीं, 'अर्थ' नहीं।
(व) उन्होंने जिस नृत्य का प्रदर्शन किया उसे तांडव कहा जाता है।
(6) केवल जड़ता के दुर्वार आकर्षण को छीन्न करके एकमात्र चैतन्य की अनुभूति का उल्लास।
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NA
सही विकल्प: D
(1) शिव ने उल्लासतिरेक में जो उद्दाम नृत्य किया था, उसे उनके शिष्य तंड़ मुनि ने याद कर लिया था। (व) उन्होंने जिस नृत्य का प्रदर्शन किया उसे तांडव कहा जाता है। (र) 'तांडव' अर्थात तंडू मुनि द्वारा प्रवर्तित 'रस-भाव-विवर्जित' नृत्य। (य) रस भी अर्थ है, भावी भी अर्थ है, परंतु तांडव ने न 'रस' है. न 'भाव'। (ल) नाचने वाले का कोई उद्देश्य नहीं, मतलब नहीं, 'अर्थ' नहीं। (6) केवल जड़ता के दुर्वार आकर्षण को छीन्न करके एकमात्र चैतन्य की अनुभूति का उल्लास।