वाक्यांशों को उचित क्रम में सजाना
Direction: निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए अनुच्छेदों के पहले और अंतिम वाक्यों में क्रमशः (1) और (6) की संज्ञा दी गई है। इसके मध्यवर्ती वाक्यों को चार भागों में बांटकर (य),(र),(ल),(व) की संज्ञा दी गई है। ये चारों वाक्य व्यवस्थित क्रम में नहीं है। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित कदम चुनिए, जिससे सही अनुच्छेद का निर्माण हो।
- (1) समस्त विश्व अनेक देशों में बँटा है।
(य) वे भी शांतिपूर्ण सुखी जीवन व्यतीत करना चाहते हैं।
(र) जिस प्रकार हम अपने देश में अपना विकास चाहते हैं, उसी प्रकार विश्व के अन्य देश के लोग भी यही चाहते हैं।
(ल) अतः हमें चाहिए कि हम देश की सीमाओं को लाँघकर संसार में रहने वाले व्यक्तियों की समस्याओं को समझे और उन्हें सुलझाने में अपना सहयोग दें।
(व) ऐसी व्यवस्था में हमारा तथा संसार के अन्य देशों के नागरिकों का उद्देश्य समान प्रतीत होता है।
(6) इस कर्तव्यपूर्ति से संसार में विद्यमान भेदभाव और शांति का वातावरण दूर हो जाएगा
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NA
सही विकल्प: B
(1) समस्त विश्व अनेक देशों में बँटा है। (र) जिस प्रकार हम अपने देश में अपना विकास चाहते हैं, उसी प्रकार विश्व के अन्य देश के लोग भी यही चाहते हैं। (य) वे भी शांतिपूर्ण सुखी जीवन व्यतीत करना चाहते हैं। (व) ऐसी व्यवस्था में हमारा तथा संसार के अन्य देशों के नागरिकों का उद्देश्य समान प्रतीत होता है। (ल) अतः हमें चाहिए कि हम देश की सीमाओं को लाँघकर संसार में रहने वाले व्यक्तियों की समस्याओं को समझे और उन्हें सुलझाने में अपना सहयोग दें। (6) इस कर्तव्यपूर्ति से संसार में विद्यमान भेदभाव और शांति का वातावरण दूर हो जाएगा
- (1) सच्चे वीर पुरुष धीर, गंभीर और आजाद होते हैं।
(य) उनके मन की गंभीरता और शांति समुद्र की तरह विशाल और गहरी होती है।
(र) सच है कि सच्चे वीरों की नींद आसानी से नहीं खुलती।
(ल) रामायण में बाल्मीकि ने कुंभकर्ण की गाढी नींद में वीरता का एक चिन्ह दिखलाया है।
(व) वे कभी चंचल नहीं होते।
(6) वे सत्वगुण के क्षीर समुद्र में ऐसे डूबे रहते हैं कि उनको दुनिया की खबर ही नहीं होती।
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NA
सही विकल्प: A
(1) सच्चे वीर पुरुष धीर, गंभीर और आजाद होते हैं। (य) उनके मन की गंभीरता और शांति समुद्र की तरह विशाल और गहरी होती है। (व) वे कभी चंचल नहीं होते। (ल) रामायण में बाल्मीकि ने कुंभकर्ण की गाढी नींद में वीरता का एक चिन्ह दिखलाया है। (र) सच है कि सच्चे वीरों की नींद आसानी से नहीं खुलती। (6) वे सत्वगुण के क्षीर समुद्र में ऐसे डूबे रहते हैं कि उनको दुनिया की खबर ही नहीं होती।
- (1) ईर्ष्या का काम जाना है मगर सबसे पहले वह उसी को जलाती है जिसके हृदय में उसका जन्म होता है।
(य) श्रोता मिलते ही उनका ग्रामोफोन बजने लगता है।
(र) जो बराबर इस फिक्र में लगे रहते हैं कि कहाँ अपने दिल का गुब्बार निकालने का मौका मिले।
(ल) वे बड़ी ही होशियारी के साथ एक-एक काण्ड इस ढंग से सुनते हैं मानो विश्व-कल्याण को छोड़कर उनका कोई ध्येय नहीं है।
(व) बहुत से लोग ऐसे हैं जो ईर्ष्या और द्वेष की साकार मूर्ति हैं।
(6) समझने का प्रयत्न कीजिए कि जबसे उन्होने इस सुकर्म का आरंभ किया है, तब से वे अपने क्षेत्र में आगे बढ़े हैं या पीछे हटे हैं।
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NA
सही विकल्प: C
(1) ईर्ष्या का काम जाना है मगर सबसे पहले वह उसी को जलाती है जिसके हृदय में उसका जन्म होता है। (व) बहुत से लोग ऐसे हैं जो ईर्ष्या और द्वेष की साकार मूर्ति हैं। (र) जो बराबर इस फिक्र में लगे रहते हैं कि कहाँ अपने दिल का गुब्बार निकालने का मौका मिले। (य) श्रोता मिलते ही उनका ग्रामोफोन बजने लगता है। (ल) वे बड़ी ही होशियारी के साथ एक-एक काण्ड इस ढंग से सुनते हैं मानो विश्व-कल्याण को छोड़कर उनका कोई ध्येय नहीं है। (6) समझने का प्रयत्न कीजिए कि जबसे उन्होने इस सुकर्म का आरंभ किया है, तब से वे अपने क्षेत्र में आगे बढ़े हैं या पीछे हटे हैं।
- (1) मार्क्सवादी और फ्रायडियन दृष्टिकोण में अर्थ और काम का आधुनिक रूपांतर है।
(य) ऐसा कैसे कहा जा सकता है जबकि हमारे यहाँ चार पुरुषार्थों में अर्थ और काम भी परिगणित था।
(र) अर्थ और काम का प्रतीक था शरीर।
(ल) यहां तक कि अर्थ को प्रथम स्थान देकर उसे शेष पुरुषार्थ का आधार स्तंभ निर्दिष्ट कर दिया गया था।
(व) क्या अतीत का साहित्य और साहित्यकार अर्थ और काम से अनभिज्ञ था।
(6) कला गुरु कालिदास ने कहा है - 'शरीरमाद्यम् खलु धर्मसाधनम्।
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NA
सही विकल्प: D
(1) मार्क्सवादी और फ्रायडियन दृष्टिकोण में अर्थ और काम का आधुनिक रूपांतर है। (व) क्या अतीत का साहित्य और साहित्यकार अर्थ और काम से अनभिज्ञ था। (य) ऐसा कैसे कहा जा सकता है जबकि हमारे यहाँ चार पुरुषार्थों में अर्थ और काम भी परिगणित था। (ल) यहां तक कि अर्थ को प्रथम स्थान देकर उसे शेष पुरुषार्थ का आधार स्तंभ निर्दिष्ट कर दिया गया था। (र) अर्थ और काम का प्रतीक था शरीर। (6) कला गुरु कालिदास ने कहा है - 'शरीरमाद्यम् खलु धर्मसाधनम्।
- (1) सभ्यता और संस्कृति के विकास में धर्म और विज्ञान का ही हाथ रहता है।
(य) विज्ञान प्रकृति को जीतता है।
(र) धर्म सत्य, अहिंसा, परोपकार आदि से मन को जीतता है।
(ल) धर्म ने मनुष्य के मन का सुधार किया है और विज्ञान ने संस्कृति को जीता है।
(व) इसलिए यदि धर्म और विज्ञान मिल जाये तो हम संकुचित विचारधारा को छोड़कर समस्त संसार को अपना समझने लगेंगे।
(6) इस संदर्भ में सभ्यता और संस्कृति से मानव का विकास होता है।
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NA
सही विकल्प: D
(1) सभ्यता और संस्कृति के विकास में धर्म और विज्ञान का ही हाथ रहता है। (ल) धर्म ने मनुष्य के मन का सुधार किया है और विज्ञान ने संस्कृति को जीता है। (र) धर्म सत्य, अहिंसा, परोपकार आदि से मन को जीतता है। (य) विज्ञान प्रकृति को जीतता है। (व) इसलिए यदि धर्म और विज्ञान मिल जाये तो हम संकुचित विचारधारा को छोड़कर समस्त संसार को अपना समझने लगेंगे। (6) इस संदर्भ में सभ्यता और संस्कृति से मानव का विकास होता है।