वाक्यांशों को उचित क्रम में सजाना
Direction: निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए अनुच्छेदों के पहले और अंतिम वाक्यों में क्रमशः (1) और (6) की संज्ञा दी गई है। इसके मध्यवर्ती वाक्यों को चार भागों में बांटकर (य),(र),(ल),(व) की संज्ञा दी गई है। ये चारों वाक्य व्यवस्थित क्रम में नहीं है। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित कदम चुनिए, जिससे सही अनुच्छेद का निर्माण हो।
- (1) सूर्य भगवान की
(य) अविश्राम तप्त किरणें, लू की सन्नाटा
(र) शुष्क होते हुए मंद प्रवाह धारणी -तल पर की अविरल
(ल) निदाघ कुसुमावतीपूरित वृक्षों का मुरझाना, नदी का
(व) मारते हुए झपट, तेजपूरित उषा
(6) शून्य विचित्र प्रभाव उत्पन्न करती है।
-
सुझाव देखें उत्तर देखें चर्चा करें
NA
सही विकल्प: B
(1) सूर्य भगवान की (य) अविश्राम तप्त किरणें, लू की सन्नाटा (व) मारते हुए झपट, तेजपूरित उषा (ल) निदाघ कुसुमावतीपूरित वृक्षों का मुरझाना, नदी का (र) शुष्क होते हुए मंद प्रवाह धारणी -तल पर की अविरल (6) शून्य विचित्र प्रभाव उत्पन्न करती है।
- (1) कैकेई का चरित्र
(य) एक ऐसी नारी का चरित्र है
(र) मानवीय भावनाओं के संघर्ष में पड़ा
(ल) आधात प्रतिघात के बीच
(व) जो परिस्थितियों के
(6) विकसित हुआ है।
-
सुझाव देखें उत्तर देखें चर्चा करें
NA
सही विकल्प: C
(1) कैकेई का चरित्र (र) मानवीय भावनाओं के संघर्ष में पड़ा (य) एक ऐसी नारी का चरित्र है (व) जो परिस्थितियों के (ल) आधात प्रतिघात के बीच (6) विकसित हुआ है।
- (1) आकाश में जिस प्रकार
(य) कोमल स्निग्ध किरणों से प्रकाशित होता है, उसी प्रकार
(र) ज्योतिपुंज का आविर्भाव होना
(ल) मानव-चित्त में भी किसी शुभोज्जवल,प्रसन्न
(व)षोडश कला से पूर्ण चंद्रमा अपनी सुधासिक्त
(6) सहज स्वाभाविक है।
-
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NA
सही विकल्प: C
(1) आकाश में जिस प्रकार (व)षोडश कला से पूर्ण चंद्रमा अपनी सुधासिक्त (य) कोमल स्निग्ध किरणों से प्रकाशित होता है, उसी प्रकार (ल) मानव-चित्त में भी किसी शुभोज्जवल,प्रसन्न (र) ज्योतिपुंज का आविर्भाव होना (6) सहज स्वाभाविक है।
- (1) वैसे देखा जाए तो
(य) प्रकृति स्वयं उस शख्स का निर्माण करती है, जो
(र) नाना प्रकार के दाहक और पाचक रसों के रूप में
(ल) उदर के भीतर कोई अग्नि की ज्वाला नहीं है, किंतु
(व) नाना भाँति खाद्य पदार्थों अर्थात भोज्य को
(6) पचा सकती है।
-
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NA
सही विकल्प: A
(1) वैसे देखा जाए तो (ल) उदर के भीतर कोई अग्नि की ज्वाला नहीं है, किंतु (य) प्रकृति स्वयं उस शख्स का निर्माण करती है, जो (र) नाना प्रकार के दाहक और पाचक रसों के रूप में (व) नाना भाँति खाद्य पदार्थों अर्थात भोज्य को (6) पचा सकती है।
- (1) जब तक प्रेमचंद्र जी
(य) मुझे मुश्किल से घंटे-आधे घंटे का समय मिलता
(र) मेरे घर रहे
(ल) जब मैं उनके साथ चाय पीता था
(व) अन्यथा उनका समय अन्य व्यक्ति अधिकतर
(6) उनकी अनिच्छा से अपने अधिकार में कर लेते
-
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NA
सही विकल्प: B
(1) जब तक प्रेमचंद्र जी (र) मेरे घर रहे (य) मुझे मुश्किल से घंटे-आधे घंटे का समय मिलता (ल) जब मैं उनके साथ चाय पीता था (व) अन्यथा उनका समय अन्य व्यक्ति अधिकतर (6) उनकी अनिच्छा से अपने अधिकार में कर लेते