वाक्यांशों को उचित क्रम में सजाना
Direction: निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए अनुच्छेदों के पहले और अंतिम वाक्यों में क्रमशः (1) और (6) की संज्ञा दी गई है। इसके मध्यवर्ती वाक्यों को चार भागों में बांटकर (य),(र),(ल),(व) की संज्ञा दी गई है। ये चारों वाक्य व्यवस्थित क्रम में नहीं है। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित कदम चुनिए, जिससे सही अनुच्छेद का निर्माण हो।
- (1) निस्संदेह आज का युग विज्ञान का युग है।
(य) किंतु उसने अनेक विडंबनाओं को भी जन्म दिया है।
(र) इसे अध्यात्म द्वारा हल किया जा सकता है।
(ल) उसने मानवीय जीवन को सुविधाजनक बनाया है।
(व) इन विडंबनाओं का निराकरण आवश्यक है।
(6) वस्तुतः विज्ञान और अध्यात्म का समन्वय ही श्रेयस्कर है।
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सुझाव देखें उत्तर देखें चर्चा करें
NA
सही विकल्प: B
(1) निस्संदेह आज का युग विज्ञान का युग है। (ल) उसने मानवीय जीवन को सुविधाजनक बनाया है। (य) किंतु उसने अनेक विडंबनाओं को भी जन्म दिया है। (व) इन विडंबनाओं का निराकरण आवश्यक है। (र) इसे अध्यात्म द्वारा हल किया जा सकता है। (6) वस्तुतः विज्ञान और अध्यात्म का समन्वय ही श्रेयस्कर है।
- (1) यद्यपि वह सबसे मिलते-जुलते और हँसते-बोलते थे पर उनका मन एकांत में ही कहीं विषाद में डूबा रहता था।
(य) रात को सोते समय अक्सर जग जाते थे और घण्टो छत पर या बरामदे में टहला करते थे
(र) अपनी कन्या सरोज की मृत्यु से उन्हें गहरा धक्का लगा था।
(ल) जीवन में लगातार विरोध होने से उनकी चेतना में कहीं क्षोभ का घुन लग चुका था।
(व) उस समय उनका मन किस दुःख सागर में डूबा रहता था, उसे उनके सिवाय कोई नहीं जानता था।
(6) जिस समय उन्हें समाचार मिला, वे अपनी समस्त वेदना हृदय में दबाने का प्रयास करते हुए कमरे में टहलते रहे।
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NA
सही विकल्प: B
(1) यद्यपि वह सबसे मिलते-जुलते और हँसते-बोलते थे पर उनका मन एकांत में ही कहीं विषाद में डूबा रहता था। (ल) जीवन में लगातार विरोध होने से उनकी चेतना में कहीं क्षोभ का घुन लग चुका था। (य) रात को सोते समय अक्सर जग जाते थे और घण्टो छत पर या बरामदे में टहला करते थे (व) उस समय उनका मन किस दुःख सागर में डूबा रहता था, उसे उनके सिवाय कोई नहीं जानता था। (र) अपनी कन्या सरोज की मृत्यु से उन्हें गहरा धक्का लगा था। (6) जिस समय उन्हें समाचार मिला, वे अपनी समस्त वेदना हृदय में दबाने का प्रयास करते हुए कमरे में टहलते रहे।
- (1) आधुनिक शिक्षा प्रणाली में चरित्र निर्माण का न कोई स्थान है और न ही कोई महत्व दिया जाता है।
(य) गुरु शिष्य को पुत्रवत मानते थे और उस पर अपना स्नेह भाव रखते थे
(र) इसका कारण यह था कि दोनों एक दूसरे पर विश्वास करते थे।
(ल) हमारी प्राचीन संस्कृति में गुरु और शिष्य का संबंध अत्यंत मधुर होता था।
(व) शिष्य गुरु को पितातुल्य और विश्वसनीय समझता था
(6) शिष्य के जीवन पर गुरु का गहरा प्रभाव पड़ता था।
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NA
सही विकल्प: B
(1) आधुनिक शिक्षा प्रणाली में चरित्र निर्माण का न कोई स्थान है और न ही कोई महत्व दिया जाता है। (ल) हमारी प्राचीन संस्कृति में गुरु और शिष्य का संबंध अत्यंत मधुर होता था। (य) गुरु शिष्य को पुत्रवत मानते थे और उस पर अपना स्नेह भाव रखते थे (र) इसका कारण यह था कि दोनों एक दूसरे पर विश्वास करते थे। (व) शिष्य गुरु को पितातुल्य और विश्वसनीय समझता था (6) शिष्य के जीवन पर गुरु का गहरा प्रभाव पड़ता था।
- (1) ध्यान क्या है ?
(य) इससे जिंदगी की तकलीफ है कम होती है।
(र) यह सब अपने आप से जूझना है।
(ल) थोड़ी देर के लिए भागना है।
(व) शरीर को छेड़ना क्या है ?
(6) मगर थोड़ी देर के लिए ही कम होती है।
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NA
सही विकल्प: A
(1) ध्यान क्या है ? (व) शरीर को छेड़ना क्या है ? (र) यह सब अपने आप से जूझना है। (ल) थोड़ी देर के लिए भागना है। (य) इससे जिंदगी की तकलीफ है कम होती है। (6) मगर थोड़ी देर के लिए ही कम होती है।
- (1) वर्तमान काल में नये कुटुंब का आरंभ विवाह से होता है।
(य) कौटुंबिक जीवन भारत की विशेषता है, जो भारतीय विवाह पद्धति पर आधारित है।
(र) भारत में विवाह आनंद उपयोग के लिए स्त्री पुरुष का मिलन न होकर एक पवित्र बंधन है।
(ल) नए दंपति अपना अलग परिवार बनाते हैं
(व) यदि उनका वैवाहिक जीवन सफल रहा तो उनका कुटुंब भी सफल होगा।
(6) आनंद उपभोग विवाहिक जीवन का लक्ष्य नहीं बल्कि परिणाम है, जो कर्तव्यों पर निर्भर है।
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NA
सही विकल्प: A
(1) वर्तमान काल में नये कुटुंब का आरंभ विवाह से होता है। (ल) नए दंपति अपना अलग परिवार बनाते हैं (व) यदि उनका वैवाहिक जीवन सफल रहा तो उनका कुटुंब भी सफल होगा। (य) कौटुंबिक जीवन भारत की विशेषता है, जो भारतीय विवाह पद्धति पर आधारित है। (र) भारत में विवाह आनंद उपयोग के लिए स्त्री पुरुष का मिलन न होकर एक पवित्र बंधन है। (6) आनंद उपभोग विवाहिक जीवन का लक्ष्य नहीं बल्कि परिणाम है, जो कर्तव्यों पर निर्भर है।