वाक्यांशों को उचित क्रम में सजाना
Direction: निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए अनुच्छेदों के पहले और अंतिम वाक्यों में क्रमशः (1) और (6) की संज्ञा दी गई है। इसके मध्यवर्ती वाक्यों को चार भागों में बांटकर (य),(र),(ल),(व) की संज्ञा दी गई है। ये चारों वाक्य व्यवस्थित क्रम में नहीं है। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित कदम चुनिए, जिससे सही अनुच्छेद का निर्माण हो।
- (य) प्रातः काल बाल-रवि की स्वर्णिम रश्मियाँ हिम-शिखरों पर सोने बिखेर देती हैं।
(र) भारत के उत्तर में एक कोने से दूसरे कोने तक प्रकृति के सौंदर्य को समेटे पर्वत राज हिमालय फैला हुआ है।
(ल) जैसे जैसे दिन चढ़ता है, हिम शिखरों की रंगमयता उनकी परिवर्तनशील भाव भंगिमा का प्रदर्शन करती है।
(व) उसकी हिमाच्छादित चोटियां आकाश को चुमती हैं।
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NA
सही विकल्प: A
(र) भारत के उत्तर में एक कोने से दूसरे कोने तक प्रकृति के सौंदर्य को समेटे पर्वत राज हिमालय फैला हुआ है। (व) उसकी हिमाच्छादित चोटियां आकाश को चुमती हैं। (य) प्रातः काल बाल-रवि की स्वर्णिम रश्मियाँ हिम-शिखरों पर सोने बिखेर देती हैं। (ल) जैसे जैसे दिन चढ़ता है, हिम शिखरों की रंगमयता उनकी परिवर्तनशील भाव भंगिमा का प्रदर्शन करती है।
- (1) आज विज्ञान मनुष्यों के हाथ में अद्भुत और अतुल शक्ति दे रहा है।
(य) इसलिए हम उस भावना को जागृत रखना है और जागृत रखने के लिए कुछ ऐसे साधनों को भी हाथ में रखना होगा जो हिंसात्मक त्याग भाव को प्रोत्साहित करें और वह भावना को दबाए रखें।
(र) नैतिक अंकुश के बिना शक्ति मानव के लिए हितकर नहीं होती।
(ल) उसका उपयोग एक ओर व्यक्ति और समूह के उत्कर्ष में और दूसरी ओर व्यक्ति और समूह के गिरने में होता रहेगा।
(व) वह नैतिक अंकुश या चेतना भावना ही दे सकती है।
(6) वहीं उस शक्ति को परिमित भी कर सकती है और उसके उपयोग को नियंत्रित भी।
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NA
सही विकल्प: D
(1) आज विज्ञान मनुष्यों के हाथ में अद्भुत और अतुल शक्ति दे रहा है। (ल) उसका उपयोग एक ओर व्यक्ति और समूह के उत्कर्ष में और दूसरी ओर व्यक्ति और समूह के गिरने में होता रहेगा। (य) इसलिए हम उस भावना को जागृत रखना है और जागृत रखने के लिए कुछ ऐसे साधनों को भी हाथ में रखना होगा जो हिंसात्मक त्याग भाव को प्रोत्साहित करें और वह भावना को दबाए रखें। (र) नैतिक अंकुश के बिना शक्ति मानव के लिए हितकर नहीं होती। (व) वह नैतिक अंकुश या चेतना भावना ही दे सकती है। (6) वहीं उस शक्ति को परिमित भी कर सकती है और उसके उपयोग को नियंत्रित भी।
- (1) सभ्यता और संस्कृति के विकास में धर्म और विज्ञान का ही हाथ रहता है।
(य) विज्ञान प्रकृति को जीतता है।
(र) धर्म सत्य, अहिंसा, परोपकार आदि से मन को जीतता है।
(ल) धर्म ने मनुष्य के मन का सुधार किया है और विज्ञान ने संस्कृति को जीता है।
(व) इसलिए यदि धर्म और विज्ञान मिल जाये तो हम संकुचित विचारधारा को छोड़कर समस्त संसार को अपना समझने लगेंगे।
(6) इस संदर्भ में सभ्यता और संस्कृति से मानव का विकास होता है।
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NA
सही विकल्प: D
(1) सभ्यता और संस्कृति के विकास में धर्म और विज्ञान का ही हाथ रहता है। (ल) धर्म ने मनुष्य के मन का सुधार किया है और विज्ञान ने संस्कृति को जीता है। (र) धर्म सत्य, अहिंसा, परोपकार आदि से मन को जीतता है। (य) विज्ञान प्रकृति को जीतता है। (व) इसलिए यदि धर्म और विज्ञान मिल जाये तो हम संकुचित विचारधारा को छोड़कर समस्त संसार को अपना समझने लगेंगे। (6) इस संदर्भ में सभ्यता और संस्कृति से मानव का विकास होता है।
- (1) मार्क्सवादी और फ्रायडियन दृष्टिकोण में अर्थ और काम का आधुनिक रूपांतर है।
(य) ऐसा कैसे कहा जा सकता है जबकि हमारे यहाँ चार पुरुषार्थों में अर्थ और काम भी परिगणित था।
(र) अर्थ और काम का प्रतीक था शरीर।
(ल) यहां तक कि अर्थ को प्रथम स्थान देकर उसे शेष पुरुषार्थ का आधार स्तंभ निर्दिष्ट कर दिया गया था।
(व) क्या अतीत का साहित्य और साहित्यकार अर्थ और काम से अनभिज्ञ था।
(6) कला गुरु कालिदास ने कहा है - 'शरीरमाद्यम् खलु धर्मसाधनम्।
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NA
सही विकल्प: D
(1) मार्क्सवादी और फ्रायडियन दृष्टिकोण में अर्थ और काम का आधुनिक रूपांतर है। (व) क्या अतीत का साहित्य और साहित्यकार अर्थ और काम से अनभिज्ञ था। (य) ऐसा कैसे कहा जा सकता है जबकि हमारे यहाँ चार पुरुषार्थों में अर्थ और काम भी परिगणित था। (ल) यहां तक कि अर्थ को प्रथम स्थान देकर उसे शेष पुरुषार्थ का आधार स्तंभ निर्दिष्ट कर दिया गया था। (र) अर्थ और काम का प्रतीक था शरीर। (6) कला गुरु कालिदास ने कहा है - 'शरीरमाद्यम् खलु धर्मसाधनम्।
- (1) ईर्ष्या का काम जाना है मगर सबसे पहले वह उसी को जलाती है जिसके हृदय में उसका जन्म होता है।
(य) श्रोता मिलते ही उनका ग्रामोफोन बजने लगता है।
(र) जो बराबर इस फिक्र में लगे रहते हैं कि कहाँ अपने दिल का गुब्बार निकालने का मौका मिले।
(ल) वे बड़ी ही होशियारी के साथ एक-एक काण्ड इस ढंग से सुनते हैं मानो विश्व-कल्याण को छोड़कर उनका कोई ध्येय नहीं है।
(व) बहुत से लोग ऐसे हैं जो ईर्ष्या और द्वेष की साकार मूर्ति हैं।
(6) समझने का प्रयत्न कीजिए कि जबसे उन्होने इस सुकर्म का आरंभ किया है, तब से वे अपने क्षेत्र में आगे बढ़े हैं या पीछे हटे हैं।
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NA
सही विकल्प: C
(1) ईर्ष्या का काम जाना है मगर सबसे पहले वह उसी को जलाती है जिसके हृदय में उसका जन्म होता है। (व) बहुत से लोग ऐसे हैं जो ईर्ष्या और द्वेष की साकार मूर्ति हैं। (र) जो बराबर इस फिक्र में लगे रहते हैं कि कहाँ अपने दिल का गुब्बार निकालने का मौका मिले। (य) श्रोता मिलते ही उनका ग्रामोफोन बजने लगता है। (ल) वे बड़ी ही होशियारी के साथ एक-एक काण्ड इस ढंग से सुनते हैं मानो विश्व-कल्याण को छोड़कर उनका कोई ध्येय नहीं है। (6) समझने का प्रयत्न कीजिए कि जबसे उन्होने इस सुकर्म का आरंभ किया है, तब से वे अपने क्षेत्र में आगे बढ़े हैं या पीछे हटे हैं।