वाक्यांशों को उचित क्रम में सजाना
Direction: निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए अनुच्छेदों के पहले और अंतिम वाक्यों में क्रमशः (1) और (6) की संज्ञा दी गई है। इसके मध्यवर्ती वाक्यों को चार भागों में बांटकर (य),(र),(ल),(व) की संज्ञा दी गई है। ये चारों वाक्य व्यवस्थित क्रम में नहीं है। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित कदम चुनिए, जिससे सही अनुच्छेद का निर्माण हो।
- (1) आज विज्ञान मनुष्यों के हाथ में अद्भुत और अतुल शक्ति दे रहा है।
(य) इसलिए हम उस भावना को जागृत रखना है और जागृत रखने के लिए कुछ ऐसे साधनों को भी हाथ में रखना होगा जो हिंसात्मक त्याग भाव को प्रोत्साहित करें और वह भावना को दबाए रखें।
(र) नैतिक अंकुश के बिना शक्ति मानव के लिए हितकर नहीं होती।
(ल) उसका उपयोग एक ओर व्यक्ति और समूह के उत्कर्ष में और दूसरी ओर व्यक्ति और समूह के गिरने में होता रहेगा।
(व) वह नैतिक अंकुश या चेतना भावना ही दे सकती है।
(6) वहीं उस शक्ति को परिमित भी कर सकती है और उसके उपयोग को नियंत्रित भी।
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NA
सही विकल्प: D
(1) आज विज्ञान मनुष्यों के हाथ में अद्भुत और अतुल शक्ति दे रहा है। (ल) उसका उपयोग एक ओर व्यक्ति और समूह के उत्कर्ष में और दूसरी ओर व्यक्ति और समूह के गिरने में होता रहेगा। (य) इसलिए हम उस भावना को जागृत रखना है और जागृत रखने के लिए कुछ ऐसे साधनों को भी हाथ में रखना होगा जो हिंसात्मक त्याग भाव को प्रोत्साहित करें और वह भावना को दबाए रखें। (र) नैतिक अंकुश के बिना शक्ति मानव के लिए हितकर नहीं होती। (व) वह नैतिक अंकुश या चेतना भावना ही दे सकती है। (6) वहीं उस शक्ति को परिमित भी कर सकती है और उसके उपयोग को नियंत्रित भी।
- (य) प्रातः काल बाल-रवि की स्वर्णिम रश्मियाँ हिम-शिखरों पर सोने बिखेर देती हैं।
(र) भारत के उत्तर में एक कोने से दूसरे कोने तक प्रकृति के सौंदर्य को समेटे पर्वत राज हिमालय फैला हुआ है।
(ल) जैसे जैसे दिन चढ़ता है, हिम शिखरों की रंगमयता उनकी परिवर्तनशील भाव भंगिमा का प्रदर्शन करती है।
(व) उसकी हिमाच्छादित चोटियां आकाश को चुमती हैं।
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NA
सही विकल्प: A
(र) भारत के उत्तर में एक कोने से दूसरे कोने तक प्रकृति के सौंदर्य को समेटे पर्वत राज हिमालय फैला हुआ है। (व) उसकी हिमाच्छादित चोटियां आकाश को चुमती हैं। (य) प्रातः काल बाल-रवि की स्वर्णिम रश्मियाँ हिम-शिखरों पर सोने बिखेर देती हैं। (ल) जैसे जैसे दिन चढ़ता है, हिम शिखरों की रंगमयता उनकी परिवर्तनशील भाव भंगिमा का प्रदर्शन करती है।
- (1) भारत एक विशाल देश है।
(य) इसी कारण प्रत्येक विचारधारा के विकास के लिए यहां पूर्ण अवसर प्राप्त हुआ है।
(र) किंतु भारतीय संस्कृति की विशेषता अनेकता में एकता का दर्शन कराना है।
(ल) उसके निवासियों का रहन-सहन, खान-पान, वेश-भूषा, रीति-रिवाज आदि भिन्न प्रकार हैं।
(व) दूर से देखने वाले व्यक्ति को ये भिन्नताएँ भारत की मौलिक भिन्नताएँ दिखाई देती है।
(6) यहां विशेषता जहां भारत में एक ओर सहिष्णुता का गुण उत्पन्न करती है, वहां लोकतंत्र की सफलता के लिए अस्थायी अाधार प्रदान करती है।
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NA
सही विकल्प: A
(1) भारत एक विशाल देश है। (ल) उसके निवासियों का रहन-सहन, खान-पान, वेश-भूषा, रीति-रिवाज आदि भिन्न प्रकार हैं। (व) दूर से देखने वाले व्यक्ति को ये भिन्नताएँ भारत की मौलिक भिन्नताएँ दिखाई देती है। (र) किंतु भारतीय संस्कृति की विशेषता अनेकता में एकता का दर्शन कराना है। (य) इसी कारण प्रत्येक विचारधारा के विकास के लिए यहां पूर्ण अवसर प्राप्त हुआ है। (6) यहां विशेषता जहां भारत में एक ओर सहिष्णुता का गुण उत्पन्न करती है, वहां लोकतंत्र की सफलता के लिए अस्थायी अाधार प्रदान करती है।
- (1) इन कीटाणुओं में
(य) अपने शरीर को बढ़ाकर दो टुकड़े कर देता हैं।
(र) इससे एक ही जगह दो कीटाणु बन जाते हैं।
(ल) हर एक कीटाणु
(व) अपनी संख्या बढ़ाने की बड़ी विचित्र शक्ति हुआ करती है।
(6) इस प्रकार क्षण भर में ही इनकी संख्या दोगुनी हो जाती है।
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NA
सही विकल्प: C
(1) इन कीटाणुओं में (व) अपनी संख्या बढ़ाने की बड़ी विचित्र शक्ति हुआ करती है। (ल) हर एक कीटाणु (य) अपने शरीर को बढ़ाकर दो टुकड़े कर देता हैं। (र) इससे एक ही जगह दो कीटाणु बन जाते हैं। (6) इस प्रकार क्षण भर में ही इनकी संख्या दोगुनी हो जाती है।
- (1) आदमी समझता है कि बहानेबाजी से काम चल जाता है।
(य) किंतु काम न करने से काम तो होता नहीं।
(र) यदि आदमी को इतनी मामूली सी बात समझ आ जाये तो मैं समझता हूं कि आदमी बहानेबाजी से मुक्त हो सकता है।
(ल) आगे-पीछे निकम्मे आदमी की पोल खुल ही जाती है।
(व) दूसरी ओर देखने वाला आदमी एकदम अंधा हो तो सचमुच कुछ देर के लिए काम चल भी जाता है।
(6) पर न जाने आदमी इसे समझता क्यों नहीं ?
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NA
सही विकल्प: C
(1) आदमी समझता है कि बहानेबाजी से काम चल जाता है। (व) दूसरी ओर देखने वाला आदमी एकदम अंधा हो तो सचमुच कुछ देर के लिए काम चल भी जाता है। (य) किंतु काम न करने से काम तो होता नहीं। (ल) आगे-पीछे निकम्मे आदमी की पोल खुल ही जाती है। (र) यदि आदमी को इतनी मामूली सी बात समझ आ जाये तो मैं समझता हूं कि आदमी बहानेबाजी से मुक्त हो सकता है। (6) पर न जाने आदमी इसे समझता क्यों नहीं ?