वाक्यांशों को उचित क्रम में सजाना


Direction: निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए अनुच्छेदों के पहले और अंतिम वाक्यों में क्रमशः (1) और (6) की संज्ञा दी गई है। इसके मध्यवर्ती वाक्यों को चार भागों में बांटकर (य),(र),(ल),(व) की संज्ञा दी गई है। ये चारों वाक्य व्यवस्थित क्रम में नहीं है। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित कदम चुनिए, जिससे सही अनुच्छेद का निर्माण हो।

  1. (य) उन्होंने जो कुछ कहा उसे स्वयं व्यवहार में लाने का प्रयत्न किया।
    (र) बीसवीं शताब्दी के इस पूर्वार्द्ध में महात्मा गांधी का उदय भारतीय गगन पर सूर्य के समान हुआ।
    (ल) इसी कारण भारतीय जीवन को वे अत्यधिक प्रभावित कर सके थे।
    (व) उन्होंने अपने जीवन काल में एक दार्शनिक की भांति केवल कुछ विचारों का या किसी दर्शन का प्रतिपादन मात्र नहीं किया।









  1. सुझाव देखें उत्तर देखें चर्चा करें

    NA

    सही विकल्प: A

    (र) बीसवीं शताब्दी के इस पूर्वार्द्ध में महात्मा गांधी का उदय भारतीय गगन पर सूर्य के समान हुआ। (व) उन्होंने अपने जीवन काल में एक दार्शनिक की भांति केवल कुछ विचारों का या किसी दर्शन का प्रतिपादन मात्र नहीं किया। (य) उन्होंने जो कुछ कहा उसे स्वयं व्यवहार में लाने का प्रयत्न किया। (ल) इसी कारण भारतीय जीवन को वे अत्यधिक प्रभावित कर सके थे।


  1. (1) अशिक्षित व्यक्ति में ज्ञान एवं विवेक का समानतः अभाव होता है।
    () अतः राज्य का यह कर्तव्य हो जाता है कि वह अपने नागरिकों को शिक्षित करें।
    (र) वह अपने अधिकारों को भी नहीं समझता और न ही अपने कर्तव्यों के प्रति जागरुक हो सकता है।
    (ल) राज्य का लक्ष्य उत्तम नागरिकों का निर्माण करना है।
    (व) उसे अपने हित-अहित का भी ज्ञान नहीं होता।
    (6) शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो शरीर एवं मस्तिष्क का विकास कर सकने में समर्थ हो।









  1. सुझाव देखें उत्तर देखें चर्चा करें

    NA

    सही विकल्प: B

    (1) अशिक्षित व्यक्ति में ज्ञान एवं विवेक का समानतः अभाव होता है। (व) उसे अपने हित-अहित का भी ज्ञान नहीं होता। (र) वह अपने अधिकारों को भी नहीं समझता और न ही अपने कर्तव्यों के प्रति जागरुक हो सकता है। (ल) राज्य का लक्ष्य उत्तम नागरिकों का निर्माण करना है। (य) अतः राज्य का यह कर्तव्य हो जाता है कि वह अपने नागरिकों को शिक्षित करें। (6) शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो शरीर एवं मस्तिष्क का विकास कर सकने में समर्थ हो।



  1. (1) क्रोध मनुष्य के शरीर को भयानक कर देता है।
    (य) क्रोध न तो मनुष्यता का चिह्न है और न स्वभाव के सरल होने का ही।
    (र) शब्द को कुत्सित कर देता है, चेहरे को आग के समान लाल कर देता है। ,आंखों को विकराल कर देता है।
    (ल) यह निरोग की अपेक्षा रोगी को, युवक की अपेक्षा वृद्ध को और भाग्यवान की अपेक्षा अभागे को अधिक आता है।
    (व) वह भीरुता अथवा मन की क्षुद्रता का चिन्ह है।
    (6) जो क्षुद्र है, उन्हीं को क्रोध शोभा देता है।









  1. सुझाव देखें उत्तर देखें चर्चा करें

    NA

    सही विकल्प: C

    (1) क्रोध मनुष्य के शरीर को भयानक कर देता है। (र) शब्द को कुत्सित कर देता है, चेहरे को आग के समान लाल कर देता है। ,आंखों को विकराल कर देता है। (य) क्रोध न तो मनुष्यता का चिह्न है और न स्वभाव के सरल होने का ही। (व) वह भीरुता अथवा मन की क्षुद्रता का चिन्ह है। (ल) यह निरोग की अपेक्षा रोगी को, युवक की अपेक्षा वृद्ध को और भाग्यवान की अपेक्षा अभागे को अधिक आता है। (6) जो क्षुद्र है, उन्हीं को क्रोध शोभा देता है।


  1. (1) लोकतांत्रिक राज्यों में सरकार अपने प्रतिनिधियों को चुनकर शासन की बागडोर उनके हाथ में देती है।
    (य) हिंसा का उपयोग दंडनीय अपराध होता है।
    (र) जन-आलोचना से सरकार सतर्क हो जाती है और प्रतिनिधियों का ध्यान जनता के कष्टों की ओर आकर्षित हो जात है।
    (ल) किंतु यह आलोचना संवैधानिक उपायों द्वारा ही व्यक्त की जानी चाहिए।
    (व) यदि प्रतिनिधि शक्ति प्राप्त करने के पश्चात जनता की भलाई का ध्यान रखे तो जनता को यह अधिकार होता है कि वह सरकार की त्रुटिपूर्ण नीतियों की आलोचना कर सकें।
    (6) वे जान जाते हैं कि यदि वह आलोचना जारी रही तो भविष्य में आने वाले चुनावों में जनता हमें नहीं चुनेगी।









  1. सुझाव देखें उत्तर देखें चर्चा करें

    NA

    सही विकल्प: C

    (1) लोकतांत्रिक राज्यों में सरकार अपने प्रतिनिधियों को चुनकर शासन की बागडोर उनके हाथ में देती है। (व) यदि प्रतिनिधि शक्ति प्राप्त करने के पश्चात जनता की भलाई का ध्यान रखे तो जनता को यह अधिकार होता है कि वह सरकार की त्रुटिपूर्ण नीतियों की आलोचना कर सकें। (ल) किंतु यह आलोचना संवैधानिक उपायों द्वारा ही व्यक्त की जानी चाहिए। (य) हिंसा का उपयोग दंडनीय अपराध होता है। (र) जन-आलोचना से सरकार सतर्क हो जाती है और प्रतिनिधियों का ध्यान जनता के कष्टों की ओर आकर्षित हो जात है। (6) वे जान जाते हैं कि यदि वह आलोचना जारी रही तो भविष्य में आने वाले चुनावों में जनता हमें नहीं चुनेगी।



  1. (1) अधिकार साध्य नहीं साधन है।
    (य) अधिकारों के प्राप्ति से उसे आनंद का अनुभव होता है।
    (र) किंतु हमारे अधिकार की पूर्ति तभी संभव है जबकि अन्य व्यक्तियों के ऐसे ही दावे स्वीकार किए जायें।
    (ल) व्यक्ति अधिकारों को इसलिये चाहता है जिससे कि वह अपनी आवश्यकता की पूर्ति करके व्यक्तित्व का विकास कर सके।
    (व) इसलिए वह अधिकारों की प्राप्ति में रुचि लेता है।
    (6) हम जिन अधिकारों को चाहते हैं उन्हें प्राप्त करने के लिए ठीक वैसे ही दूसरों के अधिकारों को हमे स्वीकार करना पड़ेगा।









  1. सुझाव देखें उत्तर देखें चर्चा करें

    NA

    सही विकल्प: D

    (1) अधिकार साध्य नहीं साधन है। (ल) व्यक्ति अधिकारों को इसलिये चाहता है जिससे कि वह अपनी आवश्यकता की पूर्ति करके व्यक्तित्व का विकास कर सके। (य) अधिकारों के प्राप्ति से उसे आनंद का अनुभव होता है। (व) इसलिए वह अधिकारों की प्राप्ति में रुचि लेता है। (र) किंतु हमारे अधिकार की पूर्ति तभी संभव है जबकि अन्य व्यक्तियों के ऐसे ही दावे स्वीकार किए जायें। (6) हम जिन अधिकारों को चाहते हैं उन्हें प्राप्त करने के लिए ठीक वैसे ही दूसरों के अधिकारों को हमे स्वीकार करना पड़ेगा।