वाक्यांशों को उचित क्रम में सजाना


Direction: निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए अनुच्छेदों के पहले और अंतिम वाक्यों में क्रमशः (1) और (6) की संज्ञा दी गई है। इसके मध्यवर्ती वाक्यों को चार भागों में बांटकर (य),(र),(ल),(व) की संज्ञा दी गई है। ये चारों वाक्य व्यवस्थित क्रम में नहीं है। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित कदम चुनिए, जिससे सही अनुच्छेद का निर्माण हो।

  1. (1) प्रजातांत्रिक जीवन-व्यवस्था व्यक्ति स्वतन्त्र्य पर आधारित है।
    (य) इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सीमाएं भी है। जब वह समाज के अन्य सदस्यों की स्वतंत्रता में हस्त हस्तक्षेप करती है।
    (र) प्रत्येक व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार कार्य करता है।
    (ल) वस्तुतः प्रजातंत्र शासन-पद्धति मात्र नहीं है,जीवन-चर्चा है।
    (व) विचार और कर्म के क्षेत्र में अपना दीपक बन सकता है।
    (6) उससे आचरण की सभ्यता का जन्म होता है।









  1. सुझाव देखें उत्तर देखें चर्चा करें

    NA

    सही विकल्प: C

    (1) प्रजातांत्रिक जीवन-व्यवस्था व्यक्ति स्वतन्त्र्य पर आधारित है। (र) प्रत्येक व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार कार्य करता है। (व) विचार और कर्म के क्षेत्र में अपना दीपक बन सकता है। (य) इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सीमाएं भी है। जब वह समाज के अन्य सदस्यों की स्वतंत्रता में हस्त हस्तक्षेप करती है। (ल) वस्तुतः प्रजातंत्र शासन-पद्धति मात्र नहीं है,जीवन-चर्चा है। (6) उससे आचरण की सभ्यता का जन्म होता है।


  1. (1) नाटक में ऐसे अनेक प्रसंग आते हैं जिसमें यह निर्णय करना कठिन हो जाता है कि नाटककार किस उद्देश्य से अपनी रचना को प्रस्तुत कर रहा है।
    (य) भारत के प्राचीन नाटकों में सर्वाधिक जोर जीवन की व्याख्या पर ही दिया गया है।
    (र) ऐसी स्थिति में नाटक के समस्त पात्रों के कथनों पर परस्पर मिलान करके उनका ठीक-ठीक अभिप्राय समझकर नाटक के उद्देश्य का निर्णय किया जा सकता है।
    (ल) इन उद्द्गारों का चयन करके ही हमें किसी नाटक का उद्देश्य स्थिर करना चाहिए।
    (व) नाटक के प्रधान पात्रों द्वारा ही नाटककार अपने उद्द्गारों प्रस्तुत करता है।
    (6) यहां नाटकों द्वारा सर्वश्रेष्ठ नैतिक आदर्श उपस्थित किए जाते हैं।









  1. सुझाव देखें उत्तर देखें चर्चा करें

    NA

    सही विकल्प: B

    (1) नाटक में ऐसे अनेक प्रसंग आते हैं जिसमें यह निर्णय करना कठिन हो जाता है कि नाटककार किस उद्देश्य से अपनी रचना को प्रस्तुत कर रहा है। (र) ऐसी स्थिति में नाटक के समस्त पात्रों के कथनों पर परस्पर मिलान करके उनका ठीक-ठीक अभिप्राय समझकर नाटक के उद्देश्य का निर्णय किया जा सकता है। (व) नाटक के प्रधान पात्रों द्वारा ही नाटककार अपने उद्द्गारों प्रस्तुत करता है। (ल) इन उद्द्गारों का चयन करके ही हमें किसी नाटक का उद्देश्य स्थिर करना चाहिए। (य) भारत के प्राचीन नाटकों में सर्वाधिक जोर जीवन की व्याख्या पर ही दिया गया है। (6) यहां नाटकों द्वारा सर्वश्रेष्ठ नैतिक आदर्श उपस्थित किए जाते हैं।



  1. (1) दहेज प्रथा का जन्म पुरानी सामाजिक प्रथाओं में ढूंढा जा सकता है।
    (य) इसे नई गृहस्थी बसानी होती है।
    (र) विवाह के बाद लड़की एक नए घर में जाती है।
    (ल) अपना नया घोंसला बनाने में उसे अधिक असुविधा न हो इसलिए उसे कुछ उपहार देने का रिवाज था।
    (व) उपहार में उसे गृहस्थी में काम आने वाली वस्तुएं स्वेच्छा से दी जाती थीं, कोई बाध्यता नहीं होती थी।
    (6) पर धीरे-धीरे इसमें बुराइयां आती गई।









  1. सुझाव देखें उत्तर देखें चर्चा करें

    NA

    सही विकल्प: A

    (1) दहेज प्रथा का जन्म पुरानी सामाजिक प्रथाओं में ढूंढा जा सकता है। (र) विवाह के बाद लड़की एक नए घर में जाती है। (य) इसे नई गृहस्थी बसानी होती है। (ल) अपना नया घोंसला बनाने में उसे अधिक असुविधा न हो इसलिए उसे कुछ उपहार देने का रिवाज था। (व) उपहार में उसे गृहस्थी में काम आने वाली वस्तुएं स्वेच्छा से दी जाती थीं, कोई बाध्यता नहीं होती थी। (6) पर धीरे-धीरे इसमें बुराइयां आती गई।


  1. (1) बीती हुई बातों को चिंता का विषय बनाकर याद रखने की आवश्यकता नहीं है।
    (य) हाँ कहानियाँ बहुत है।
    (र) इसका कुप्रभाव तन और मन पर पड़ता है और जीवन में अवसाद स्थाई डेरा डाल लेता है।
    (ल) जीवन में दुःख और कष्ट के क्षण आते ही रहते हैं, लेकिन उन्हें जीवन भर का दुःख बनाकर लादे रहने का कोई लाभ नहीं है।
    (व) बीती हुई घटनाओं अथवा प्रसंगों को भूल जाना ही श्रेयस्कर है।
    (6) जीवन को अवसाद से छुटकारा तभी मिलता है, जब बीती बातों को विस्तृत कर दिया जाए।









  1. सुझाव देखें उत्तर देखें चर्चा करें

    NA

    सही विकल्प: A

    (1) बीती हुई बातों को चिंता का विषय बनाकर याद रखने की आवश्यकता नहीं है। (ल) जीवन में दुःख और कष्ट के क्षण आते ही रहते हैं, लेकिन उन्हें जीवन भर का दुःख बनाकर लादे रहने का कोई लाभ नहीं है। (य) हाँ कहानियाँ बहुत है। (र) इसका कुप्रभाव तन और मन पर पड़ता है और जीवन में अवसाद स्थाई डेरा डाल लेता है। (व) बीती हुई घटनाओं अथवा प्रसंगों को भूल जाना ही श्रेयस्कर है। (6) जीवन को अवसाद से छुटकारा तभी मिलता है, जब बीती बातों को विस्तृत कर दिया जाए।



  1. (1) संसार में किसी का भी जीवन स्थायी नहीं है।
    (य) महान से महान व्यक्ति और शक्तिशाली प्रतिभाओं का भी अंत सुनिश्चित है।
    (र) इस संसार में तन का घमंड व्यर्थ है, क्योंकि देहावसान होता ही है।
    (ल) जीवन दो दिन का मेला है।
    (व) एक दिन मेला उजड़ जाता है।
    (6) धन के वैभव पर इठलाना किसी काम का ,क्योंकि धन दौलत कि शान एक दिन समाप्त हो जाती है।









  1. सुझाव देखें उत्तर देखें चर्चा करें

    NA

    सही विकल्प: B

    (1) संसार में किसी का भी जीवन स्थायी नहीं है। (ल) जीवन दो दिन का मेला है। (य) महान से महान व्यक्ति और शक्तिशाली प्रतिभाओं का भी अंत सुनिश्चित है। (व) एक दिन मेला उजड़ जाता है।(र) इस संसार में तन का घमंड व्यर्थ है, क्योंकि देहावसान होता ही है। (6) धन के वैभव पर इठलाना किसी काम का ,क्योंकि धन दौलत कि शान एक दिन समाप्त हो जाती है।