वाक्यांशों को उचित क्रम में सजाना
Direction: निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए अनुच्छेदों के पहले और अंतिम वाक्यों में क्रमशः (1) और (6) की संज्ञा दी गई है। इसके मध्यवर्ती वाक्यों को चार भागों में बांटकर (य),(र),(ल),(व) की संज्ञा दी गई है। ये चारों वाक्य व्यवस्थित क्रम में नहीं है। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित कदम चुनिए, जिससे सही अनुच्छेद का निर्माण हो।
- (1) जंगल में जिस प्रकार
(य) अपनी संस्कृतियों के द्वारा एक-दूसरे के साथ मिलकर
(र) अनेक लता, वृक्ष और वनस्पति अपने
(ल) अविरोधी स्थिति प्राप्त करते हैं, उसी प्रकार राष्ट्रीय जन
(व) अदम्य भाव से उठते हुए पारस्परिक सम्मिलन से
(6) राष्ट्र में रहते हैं।
-
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NA
सही विकल्प: B
(1) जंगल में जिस प्रकार (र) अनेक लता, वृक्ष और वनस्पति अपने (व) अदम्य भाव से उठते हुए पारस्परिक सम्मिलन से (ल) अविरोधी स्थिति प्राप्त करते हैं, उसी प्रकार राष्ट्रीय जन (य) अपनी संस्कृतियों के द्वारा एक-दूसरे के साथ मिलकर (6) राष्ट्र में रहते हैं।
- (1) मैं भी मानता हूं कि
(य) खुले मैदान की ताजी हवा है,
(र) भाषा चिड़ियों के कंठ से निकल निकला
(ल) भाषा बहता नीर है,
(व) 'राम नाम के पहर' में सवेरे का
(6) कलरव है।
-
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NA
सही विकल्प: B
(1) मैं भी मानता हूं कि (ल) भाषा बहता नीर है, (य) खुले मैदान की ताजी हवा है, (र) भाषा चिड़ियों के कंठ से निकल निकला (व) 'राम नाम के पहर' में सवेरे का (6) कलरव है।
- (1) हमारा उद्देश्य होगा, जीवन के
(य) करना कि हमारा सामाजिक जीवन
(र) हर सांस्कृतिक पहलू का इस प्रकार विकास
(ल) पुनर्गठन हो और वह सौंदर्य एवं आनंद को पूर्ण रुप से
(व) स्वतंत्रता, समता और मानवता के आधार पर
(6) उपलब्ध करा सके।
-
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NA
सही विकल्प: C
(1) हमारा उद्देश्य होगा, जीवन के (र) हर सांस्कृतिक पहलू का इस प्रकार विकास (य) करना कि हमारा सामाजिक जीवन (व) स्वतंत्रता, समता और मानवता के आधार पर (ल) पुनर्गठन हो और वह सौंदर्य एवं आनंद को पूर्ण रुप से (6) उपलब्ध करा सके।
- (1) यदि अपवित्र और अमंगलकारी विचार
(य) हमारा सारा जीवन, उसके कार्य और फल एक दूषित वातावरण से भर जाएंगे और
(र) हमारे पार्थिव शरीर की समाप्ति ही नहीं
(ल) हमारे अन्तस् से अविर्भूत होने लगे तो
(व) अपितु उन मानव-मूल्यों की भी समाप्त हो जाएगी जिन पर
(6) मानव-जीवन और उसका अस्तित्व अवलम्बित है।
-
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NA
सही विकल्प: C
(1) यदि अपवित्र और अमंगलकारी विचार (ल) हमारे अन्तस् से अविर्भूत होने लगे तो (य) हमारा सारा जीवन, उसके कार्य और फल एक दूषित वातावरण से भर जाएंगे और (र) हमारे पार्थिव शरीर की समाप्ति ही नहीं (व) अपितु उन मानव-मूल्यों की भी समाप्त हो जाएगी जिन पर (6) मानव-जीवन और उसका अस्तित्व अवलम्बित है।
- (1) वह भाषा जो सार्वजनिक हो
(य) अर्थात सारे राष्ट्र के निवासीयों द्वारा
(र) और राजनीतिक कार्यों में जिसका प्रयोग किया जाए
(ल) बोली और समझी जा सके
(व) साथ ही साथ उसे संविधान द्वारा स्वीकृति प्राप्त हो
(6) ऐसी भाषा को हम राष्ट्रभाषा कहेंगे।
-
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NA
सही विकल्प: A
(1) वह भाषा जो सार्वजनिक हो (य) अर्थात सारे राष्ट्र के निवासीयों द्वारा (ल) बोली और समझी जा सके (र) और राजनीतिक कार्यों में जिसका प्रयोग किया जाए (व) साथ ही साथ उसे संविधान द्वारा स्वीकृति प्राप्त हो (6) ऐसी भाषा को हम राष्ट्रभाषा कहेंगे।