वाक्यांशों को उचित क्रम में सजाना
Direction: निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए अनुच्छेदों के पहले और अंतिम वाक्यों में क्रमशः (1) और (6) की संज्ञा दी गई है। इसके मध्यवर्ती वाक्यों को चार भागों में बांटकर (य),(र),(ल),(व) की संज्ञा दी गई है। ये चारों वाक्य व्यवस्थित क्रम में नहीं है। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित कदम चुनिए, जिससे सही अनुच्छेद का निर्माण हो।
- (1) भारतीय साहित्य का आदर्श त्याग और उत्सर्ग है।
(य) किसी राष्ट्र की सबसे मूल्यवान संपत्ति उसके साहित्यिक आदर्श होते हैं।
(र) भारतीय स्वयं को उस समय कृतकार्य समझता है, जब वह मायाबंधन से मुक्त हो जाता है।
(ल) यूरोप का कोई व्यक्ति लखपति होकर और ऊंची सोसाइटी में मिलकर स्वयं को कृतकार्य समझता है।
(व) जब उसमें भोग और अधिकार का मोह नहीं रहता।
(6) व्यास और बाल्मीकि के आदर्श आज भी भारत का सिर ऊंचा किये हुए हैं।
-
सुझाव देखें उत्तर देखें चर्चा करें
NA
सही विकल्प: C
(1) भारतीय साहित्य का आदर्श त्याग और उत्सर्ग है। (र) भारतीय स्वयं को उस समय कृतकार्य समझता है, जब वह मायाबंधन से मुक्त हो जाता है। (व) जब उसमें भोग और अधिकार का मोह नहीं रहता। (ल) यूरोप का कोई व्यक्ति लखपति होकर और ऊंची सोसाइटी में मिलकर स्वयं को कृतकार्य समझता है। (य) किसी राष्ट्र की सबसे मूल्यवान संपत्ति उसके साहित्यिक आदर्श होते हैं। (6) व्यास और बाल्मीकि के आदर्श आज भी भारत का सिर ऊंचा किये हुए हैं।
- (1) कवि ब्रह्मानंद की इस रचना का प्रतिपाद्य समाज और राष्ट्र है।
(य) ऐसे अवसरों पर वे नीतिकार और समाज सुधारक के रूप में उभरकर सामने आते हैं।
(र) गांधीजी के सहयोगी होने के कारण इनके काव्य पर गांधीवादी प्रभाव भी पड़ा है।
(ल) इसके अतिरिक्त नीति और दर्शन पर भी इसमें लेखनी चलाई गई है।
(व) समाज में व्याप्त कुरीतियों पर कवि ने तीखे प्रहार किये हैं।
(6)अहिंसा, सत्य और स्वदेश एवं स्वदेशी प्रेम से उनकी कविता ओत-प्रोत है।
-
सुझाव देखें उत्तर देखें चर्चा करें
NA
सही विकल्प: C
(1) कवि ब्रह्मानंद की इस रचना का प्रतिपाद्य समाज और राष्ट्र है। (ल) इसके अतिरिक्त नीति और दर्शन पर भी इसमें लेखनी चलाई गई है। (व) समाज में व्याप्त कुरीतियों पर कवि ने तीखे प्रहार किये हैं। (य) ऐसे अवसरों पर वे नीतिकार और समाज सुधारक के रूप में उभरकर सामने आते हैं। (र) गांधीजी के सहयोगी होने के कारण इनके काव्य पर गांधीवादी प्रभाव भी पड़ा है। (6)अहिंसा, सत्य और स्वदेश एवं स्वदेशी प्रेम से उनकी कविता ओत-प्रोत है।
- (1) रामानुज का दर्शन में मुक्तात्मा ईश्वर के समान है, पर उसकी ईश्वर के साथ एकात्मकता नहीं होती
(य) सृष्टि की स्थिति आदि में जीवन का तकनि भी अधिकार नहीं रहता।
(र) मुक्ति के लिए ईश्वर का साक्षात अनुभव ही अंतिम साधन है।
(ल) मुक्त जीवन में सर्वज्ञता तथा सत्य संकल्प अवश्य आ जाते हैं, पर सर्वकर्तृत्व ईश्वर के ही हाथ में रहता है।
(व) प्रापति के वशीभूत भगवान जीव को पूर्ण ज्ञान प्रदान कर देते हैं।
(6) बैकुंठ में भगवान का 'किंकर' बनना ही परम मुक्ति है।
-
सुझाव देखें उत्तर देखें चर्चा करें
NA
सही विकल्प: C
(1) रामानुज का दर्शन में मुक्तात्मा ईश्वर के समान है, पर उसकी ईश्वर के साथ एकात्मकता नहीं होती (य) सृष्टि की स्थिति आदि में जीवन का तकनि भी अधिकार नहीं रहता। (ल) मुक्त जीवन में सर्वज्ञता तथा सत्य संकल्प अवश्य आ जाते हैं, पर सर्वकर्तृत्व ईश्वर के ही हाथ में रहता है। (र) मुक्ति के लिए ईश्वर का साक्षात अनुभव ही अंतिम साधन है। (व) प्रापति के वशीभूत भगवान जीव को पूर्ण ज्ञान प्रदान कर देते हैं। (6) बैकुंठ में भगवान का 'किंकर' बनना ही परम मुक्ति है।
- (1 ) शब्द और अर्थ को काव्य का शरीर कहा गया है। यह दोनों ही अभिन्न है।
(य) शब्द के साथ अर्थ का लगाव है और अर्थ के साथ शब्द का
(र) इसी प्रकार शब्द के बिना अर्थ का मानव-मस्तिष्क में कठिनाई से निर्वाह होता है।
(ल) अर्थ उसके बिना शब्द का कोई मूल्य नहीं है।
(व) शब्द और अर्थ की एकता को पार्वती परमेश्वर की एकता का अपमान बताकर कालिदास ने इसे अटूट संबंध को महत्व प्रदान की थी।
(6) एक के बिना दूसरे की पूर्णता नहीं, इसलिए दोनों मिलकर ही काव्य का शारीरत्व संपादित करते हैं।
-
सुझाव देखें उत्तर देखें चर्चा करें
NA
सही विकल्प: C
(1 ) शब्द और अर्थ को काव्य का शरीर कहा गया है। यह दोनों ही अभिन्न है। (ल) अर्थ उसके बिना शब्द का कोई मूल्य नहीं है। (र) इसी प्रकार शब्द के बिना अर्थ का मानव-मस्तिष्क में कठिनाई से निर्वाह होता है। (व) शब्द और अर्थ की एकता को पार्वती परमेश्वर की एकता का अपमान बताकर कालिदास ने इसे अटूट संबंध को महत्व प्रदान की थी। (य) शब्द के साथ अर्थ का लगाव है और अर्थ के साथ शब्द का (6) एक के बिना दूसरे की पूर्णता नहीं, इसलिए दोनों मिलकर ही काव्य का शारीरत्व संपादित करते हैं।
- (1) फिर से मैं सोचने लगा-अतीत क्या चला ही गया
(य) मैं किसी तरह विश्वास नहीं कर सका कि अतीत एकदम उठ गया है।
(र) अपने पीछे क्या हम एक विशाल शून्य मरुभूमि छोड़ते जा रहे हैं ?
(ल) कहां जाएगा वह ?
(व) आज जो कुछ हम कर रहे हैं, कल क्या यह सब लोप हो जाएगा ?
(6) मुझे शिप्रा की लोल तरंगों पर बैठे कालिदास स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं, अतीत कहीं गया नहीं है, वह मेरी रग-रग में सुप्त है।
-
सुझाव देखें उत्तर देखें चर्चा करें
NA
सही विकल्प: C
(1) फिर से मैं सोचने लगा-अतीत क्या चला ही गया (र) अपने पीछे क्या हम एक विशाल शून्य मरुभूमि छोड़ते जा रहे हैं ? (व) आज जो कुछ हम कर रहे हैं, कल क्या यह सब लोप हो जाएगा ? (ल) कहां जाएगा वह ? (य) मैं किसी तरह विश्वास नहीं कर सका कि अतीत एकदम उठ गया है। (6) मुझे शिप्रा की लोल तरंगों पर बैठे कालिदास स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं, अतीत कहीं गया नहीं है, वह मेरी रग-रग में सुप्त है।