अलंकार,रस एवं छन्द
- सब प्राणियों के मत्तमनोमयुर अहा नचा रहा।
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"सब प्राणियों के मत्तमनोमयुर अहा नचा रहा।" उपर्युक्त पंक्तियों में रूपक अलंकार है। मूर्ख यहां मोर का (उपमान) आरोप मन (उपमेय) पर किया गया है।
सही विकल्प: B
"सब प्राणियों के मत्तमनोमयुर अहा नचा रहा।" उपर्युक्त पंक्तियों में रूपक अलंकार है। मूर्ख यहां मोर का (उपमान) आरोप मन (उपमेय) पर किया गया है।
- नहिं पराग नहिं मधुर, मधु, नहिं विकास येहि काल। अली कली ही सों बढ्यो, आगे कौन हवाल।।
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नहिं पराग नहिं मधुर, मधु, नहिं विकास येहि काल। अली कली ही सों बढ्यो, आगे कौन हवाल।। जयसिंह द्वारा अपनी नवोढ़ा पत्नी पर आसक्ती के कारण इस दोहे द्वारा व्यंग किया गया है। यहां अन्योक्ति अलंकार है।
सही विकल्प: C
नहिं पराग नहिं मधुर, मधु, नहिं विकास येहि काल। अली कली ही सों बढ्यो, आगे कौन हवाल।। जयसिंह द्वारा अपनी नवोढ़ा पत्नी पर आसक्ती के कारण इस दोहे द्वारा व्यंग किया गया है। यहां अन्योक्ति अलंकार है।
- चिरजीवौ जोरी जुरै, क्यों न सनेह गंभीर। को घटि ये वृषभानुजा, वे हलधर के बीर।
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उपयुक्त प्रश्न में दी गई पंक्तियों में श्लेष अलंकार है। यहां वृषभानुजा के दो अर्थ है, प्रथम अर्थ है 'राधा' और दूसरा अर्थ वृषभानुजा शब्द को तोड़ने से वृषभ + अनुजा = गाय है।
सही विकल्प: C
उपयुक्त प्रश्न में दी गई पंक्तियों में श्लेष अलंकार है। यहां वृषभानुजा के दो अर्थ है, प्रथम अर्थ है 'राधा' और दूसरा अर्थ वृषभानुजा शब्द को तोड़ने से वृषभ + अनुजा = गाय है।
- मेखलाकार पर्वत अपार अपने सहस्त्र दृग सुमन फाड़,
अवलोक रहा था बार-बार नीचे जल में निज महाकार।
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प्रश्न में दी गई पंक्तियों में रूपक अलंकार है। यहां विशाल पर्वत (उपमेय) मानव रूप (उपमान) का आरोप किया गया है।
सही विकल्प: B
प्रश्न में दी गई पंक्तियों में रूपक अलंकार है। यहां विशाल पर्वत (उपमेय) मानव रूप (उपमान) का आरोप किया गया है।
- मुख बाल-रवि-सम लाल होकर ज्वाला-सा बोधित हुआ।
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"मुख बाल-रवि-सम लाल होकर ज्वाला-सा बोधित हुआ।" उपर्युक्त उपर्युक्त पंक्तियों में उपमा अलंकार है। इसमें बालक हनुमान का मुख्य सूरज के समान लाल ज्वाला सा बताया गया है।
सही विकल्प: A
"मुख बाल-रवि-सम लाल होकर ज्वाला-सा बोधित हुआ।" उपर्युक्त उपर्युक्त पंक्तियों में उपमा अलंकार है। इसमें बालक हनुमान का मुख्य सूरज के समान लाल ज्वाला सा बताया गया है।