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नहिं पराग नहिं मधुर, मधु, नहिं विकास येहि काल। अली कली ही सों बढ्यो, आगे कौन हवाल।।
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- रूपक
- विशेषोक्ति
- अन्योक्ति
- अतिशयोक्ति
- रूपक
सही विकल्प: C
नहिं पराग नहिं मधुर, मधु, नहिं विकास येहि काल। अली कली ही सों बढ्यो, आगे कौन हवाल।। जयसिंह द्वारा अपनी नवोढ़ा पत्नी पर आसक्ती के कारण इस दोहे द्वारा व्यंग किया गया है। यहां अन्योक्ति अलंकार है।