अपठित गधांश
Direction: इन प्रश्नों बाईं ओर के शब्द गद्यांश से लिए गए हैं, और मोटे अक्षरों में छापे हैं। आपको दिए गए पांचों विकल्पों में से उस शब्द का चयन करना है जो मोटे छापे का समानार्थीहै।
- परिचित
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NA
सही विकल्प: C
' परिचित ' का समानार्थी शब्द ' अभिज्ञ ' है।
Direction: इन प्रश्नों बाईं ओर के शब्द गद्यांश से लिए गए हैं, और मोटे अक्षरों में छापे हैं। आपको दिए गए पांचों विकल्पों में से उस शब्द का चयन करना है जो मोटे छापे का विपरीतार्थी है।
- समाप्त
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NA
सही विकल्प: B
समाप्त का अर्थ अन्त होने से है और अथ का अर्थ आरम्भ होने से है अतः समाप्त का विपरीतार्थी शब्द अथ है।
Direction: नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए. कुछ शब्दों को मोटे अक्षरों में मुद्रित किया गया है, जिससे आपको कुछ प्रश्नों के उत्तर देने में सहायता मिलेगी. दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त का चयन कीजिए.
आटा चक्की की बदलती आवाज को पहचानकर गुसांईं घट के अंदर चला गया. खप्पर का अनाज समाप्त हो चुका था. खप्पर में एक कम अन्नवाले थैले को उलटकर उसने अन्न का निकास रोकने के लिए काठ की चिड़ियों को उल्टा कर दिया. वह जल्दी-जल्दी आटे को थैले में भरने लगा. केवल चक्की के ऊपरवाले पाट की घिसटती हुई घरघराहट का हल्का-धीमा संगीत चल रहा था. तभी गुसांईं ने सुना अपनी पीठ के पीछे, घट के द्वार पर, इस संगीत से भी मधुर एक नारी का कंठस्वर, “कब बारी आएगी, जी ? रात की राटी के लिए भी घर में आटा नहीं है.”
सर पर पिसान रखे एक स्त्री उससे यह पूछ रही थी. गुसांईं को उसका स्वर परिचित-सा लगा. चौंककर उसने पीछे मुड़कर देखा. पर गुसांईं उसे ठीक से नहीं देख पाया, लेकिन तब भी उसका मन जैसे आशंकित हो उठा.
घट के छोटे कमरे में चारों ओर पिसे हुए अन्न का चूर्ण फैल रहा था, जो अब तक गुसांईं के पूरे शरीर पर छा गया था. इस कृत्रिम सफेदी के कारण वह वृद्ध-सा दिखाई दे रहा था. स्त्री ने भी उसे नहीं पहचाना. उसने दुबारा वही शब्द दुहराए. इस बार गुसांई न टाल पाया, उत्तर देना ही पड़ा, “यहां पहले की टीला लगा है, जल्दी नहीं होगा.”
स्त्री ने किसी प्रकार की अनुनय-विनय नहीं की. शाम के आटे का प्रबंध करने के लिए वह दूसरी चक्की का सहारा लेने को लौट पड़ी.
मुड़ते समय स्त्री की एक झलक देखकर गुसांईं को संदेह विश्वास में बदल गया था. उसके अंदर की किसी अज्ञात शक्ति ने जैसे उसे वापस जाती हुई उस स्त्री को बुलाने को बाध्य कर दिया. गुसांईं के अंतर में तीव्र उथल-पुथल मच गई. इस बार आवेग इतना तीव्र था कि वह स्वयं को नही रोक पाया, उसने पुकारा, ”लछमा !“
”मुझे पुकार रहे हैं, जी ?
”हां, ले आ, हो जाएगा ।“
गुसांईं की उदारता के कारण ऋणी-सी होकर उसने निकट आते-आते कहा, “तुम्हारे बाल-बच्चे जीते रहें, घटवारजी ! बड़ा उपकार का काम कर दिया तुमने !
“मायके कब आई ?”
दड़िम की छाया में बैठते हुए लछमा ने शंकित दृष्टि से गुसांईं की ओर देखा. कोसी नदी की सूखी धार अचानक जल-प्लावित होकर बहने लगती, तो भी लछमा को इतना आशचर्य न होता, जितना अपने स्थान से केवल चार कदम की दूरी पर गुसांईं को इस रूप में देखने पर हुआ. विस्मय से आंखें फाड़कर वह उसे देखे जा रही थी, जैसे अब भी उसे विश्वास न हो रहा हो कि जो व्यक्ति उसके सम्मुख बैठा है, वह उसका पूर्व-परिचित गुसांईं ही है.
”तुम ?“ शेष शब्द उसके कंठ में ही रह गए.
“हां, पिछले साल पल्टन से लौट आया था, वक्त काटने के लिए यह घट लगवा लिया."
बातों का क्रम बनाए रखने के लिए गुसांई ने पूछा, “तू अभी और कितने दिन मायके ठहरनेवाली है ?"
अब लछमा के लिए अपने को रोकना असंभव हो गया। टप् - टप् - टप्, वह सर नीचा किए आँसू गिराने लगी.
इतनी देर बाद सहसा गुसांई का ध्यान लछमा के शरीर की ओर गया. उसके गले में चरेऊ (सुहाग - चिह्न) नहीं था । हतप्रभ-सा गुसांई उसे देखता रहा. अपनी व्यावहारिक अज्ञानता पर उसे बेहद झुंझलाहट हो रही थी.
गुसांई की सहानुभूतिपूर्ण दृष्टि पाकर लछमा आंसू पोंछती हुई अपना दुखड़ा रोने लगी, “जिसका भगवान नहीं होता, उसका कोई नहीं होता. जेठ-जेठानी से किसी तरह पिंड छुडाकर यहां मां की बीमारी में आई थी, वह भी मुझे छोड़ कर चली गई. मुझे अभागिन का बस एक छोटा बेटी बचा रह गया है, उसी के लिए जीना पड़ रहा है. नहीं तो पेट पर पत्थर बांधकर कहीं डूब मरती, जंजाल कटता.”
- गद्यांश से क्या प्रतीत होता है कि गद्यांश में वर्णित घट, गुसांईं, घटवार और लछमा का यह दृश्य कहां घटित हुआ होगा ?
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NA
सही विकल्प: C
गद्यांश में वर्णित घट, गुसांईं, घटवार और लछमा का यह दृश्य दूर-दर्ज के किसी इलाके में स्थित आटा चक्की पर घटित हुआ है।
Direction: कविता में पंक्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।
अब ना गहरी नींद में तुम सो सकोगे, गीत गाकर में जगाने आ रहा हूं।
अतल अस्ताचल तुम्हें जाने ना दूँगा, अरुण उदयाचल सजाने आ रहा हूँ।
कल्पना में आज तक उड़ते रहे तुम, साधना से सिहर कर मुड़ते रहे तुम।
अब तुम्हें आकाश में उड़ने न दूंगा, आज धरती पर बसाने आ रहा हूँ
- कविता में उपर्युक्त शीर्षक हो सकता है
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NA
सही विकल्प: C
इस कविता में कवि ने मानव को जागते रहने की प्रेरणा दी है। इसलिए इसका उपर्युक्त शीर्षक जागृति होगा।
Direction: इन प्रश्नों बाईं ओर के शब्द गद्यांश से लिए गए हैं, और मोटे अक्षरों में छापे हैं। आपको दिए गए पांचों विकल्पों में से उस शब्द का चयन करना है जो मोटे छापे का विपरीतार्थी है।
- अज्ञानता
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NA
सही विकल्प: A
अज्ञानता का अर्थ जिसे किसी चीज का ज्ञान न हो और विद्वता का अर्थ जिसे बहुत कुछ आता हो अतः अज्ञानता का विलोम शब्द विद्वता होगा।