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Direction: निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए अनुच्छेदों के पहले और अंतिम वाक्यों में क्रमशः (1) और (6) की संज्ञा दी गई है। इसके मध्यवर्ती वाक्यों को चार भागों में बांटकर (य),(र),(ल),(व) की संज्ञा दी गई है। ये चारों वाक्य व्यवस्थित क्रम में नहीं है। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित कदम चुनिए, जिससे सही अनुच्छेद का निर्माण हो।

  1. (1) हमारे यहाँ धर्म से अभ्युदय और निःश्रेयस दोनों की सिद्धि कही गई है।
    (य) धर्म का विकास इसी लोक के बीच हमारे परस्पर व्यवहार में निहित है।
    (र) इसलिए हमें जीवन की पूर्णता कर्म, ज्ञान और भक्ति तीनों में समन्वय में है।
    (ल) हमारे परस्पर व्यवहारों का प्रेरक हमारा रागात्मक ह्रदय होता है।
    (व) अतः मोक्ष का मार्ग धर्म-मार्ग से बिल्कुल अलग नहीं जा सकता।
    (6) साधना किसी प्रकार की हो, साधक की पूरी सत्ता के साथ होनी चाहिए।
    1. व य ल र
    2. र ल य व
    3. य व र ल
    4. ल व य र
सही विकल्प: A

(1) हमारे यहाँ धर्म से अभ्युदय और निःश्रेयस दोनों की सिद्धि कही गई है। (व) अतः मोक्ष का मार्ग धर्म-मार्ग से बिल्कुल अलग नहीं जा सकता। (य) धर्म का विकास इसी लोक के बीच हमारे परस्पर व्यवहार में निहित है। (ल) हमारे परस्पर व्यवहारों का प्रेरक हमारा रागात्मक ह्रदय होता है। (र) इसलिए हमें जीवन की पूर्णता कर्म, ज्ञान और भक्ति तीनों में समन्वय में है। (6) साधना किसी प्रकार की हो, साधक की पूरी सत्ता के साथ होनी चाहिए।



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