Direction: निम्नांकित लोकोक्तियों के सही अर्थ का चयन कीजिये---
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दर्जी की सुई कभी ताश में कभी टाट में
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- कोई दोष न होना
- खली न होना
- कबाड़ी का काम करना
- बेकार होना
- कोई दोष न होना
सही विकल्प: B
दर्जी की सुई कभी ताश में कभी टाट में का अर्थ है ' खली न होना '। वाक्य प्रयोग- उद्यमी व्यक्ति कोई न कोई काम करता रहता है क्योंकि सच है ' दर्जी की सुई कभी ताश में कभी टाट में '।