खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' कृत 'प्रिय प्रवास' है। कामायनी की रचना जयशंकर प्रसाद, साकेत की रचना मैथिलीशरण गुप्त एवं नीरजा की रचना महादेवी वर्मा ने की थी।
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