-
नाट्यशास्त्रकारों द्वारा अमान्य रस है -
-
- अद्भुत रस
- शांत रस
- करुण रस
- वीभत्स रस
- अद्भुत रस
सही विकल्प: D
नाट्यशास्त्रकार विभत्स रस को अमान्य मानते हैं। हिंदी में नौ रस माने गये हैं। श्रृंगार, वीर, रौद्र, विभत्स, अद्भुत, शांत, हास्य, भयानक एवं करुणा। उनके स्थायी भाव क्रमशाः है - रति, उत्साह, क्रोध, जुगुप्सा, विस्मय, निर्वेद, हास्य, भय, सुख एवं शोक।