हिन्दी का विकाश संस्कृत , पाली,प्राकृत एवं अपभ्रंश की दीर्घ परम्परा में हुआ है। अपभ्रंश की शाखा शौरसेना अपभ्रंश की पष्चिमी हिन्दी उपभाषा के अंतर्गत खड़ी बोली से विकाश हुआ है।
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