'ब्रजबूलि' पुराणी बांग्ला नाम से जानी जाती है। बांग्ला के कृष्ण भक्त कवि चैतन्य महा प्रभु ने अपने उपदेश एवं रचनाये 'ब्रजबूलि' में ही की है।
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