स्वयंभू को 'अपभृंश का बाल्मीकि ' कहते हैं। उन्हें 'पउम चरिउ ' की रचना की। स्वयंभू अपभृंश को देशी भाषा मानते थे।
पिछला प्रश्न अगला प्रश्न
एडमिन के अप्रूवल के बाद आपका कमेंट दिखाया जायेगा.