महात्मा गाँधी हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखते थे। उनका मानना था की राष्ट्रभाषा ऐसी हो जो सरल एवं सहज हो। साथ ही यह देश को एकता के बंधन में बांध सके। गांधीजी ने इसी आधार पर राष्ट्रभाषा के पांच लक्षण बताये हैं।
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