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अँखियाँ हरि दरसन की भूखी।
कैसे रहें रूप रस राँची, ए बतियाँ सुनि रूखी। उपर्युक्त पंक्तियों में कौन सा रस है ?
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- वीर रस
- वियोग श्रृंगार रस
- शांत रस
- संयोग श्रृंगार रस
- वीर रस
सही विकल्प: B
उपर्युक्त पंक्तियों में वियोग रस वियोग श्रृंगार रस है। श्रृंगार रस का स्थायी भाव रति है। इसमें नायक-नायिका की पारस्परिक मिलन एवं विच्छेद के सुख का आभाव रहता है। यही वियोगश्रृंगार रस है। प्रस्तुत पंक्तियों में कृष्ण एवं गोपियों के परस्पर मिलन के सुख का अभाव है।