Direction: नीचे दिये गये अनुच्छेद को पढ़िए और हिंदी भाषा प्रश्न 18 से 23 तक के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए:
रूढ़ संज्ञा और कथापूर्व विशेषण देकर घटना या संवाद को पहले से तय कर देने वाली कहानियों की ही पूरक वे तमाम रचनाएँ कही जा सकती है, जिन्हें 'कविता' कहकर हिंदी पाठ्य-पुस्तकों में शामिल किया जाता है। हिंदी विषय के अंतर्गत पढ़ायी जाने वाली तथाकथित कविताएँ पढ़कर बच्चे को दी गई पंक्तियों का लक्ष्यार्थ पहचानना और लिखना होता है। जिसे मैं लक्ष्यार्थ कह रहा हूँ, वह प्रायः एक घिरते हुए प्रतिकार्थ जैसा दिखता अवश्य है, पर इसमें प्रतिकार्थ कहना ठीक नहीं होगा। प्रतिको में आभा का गुण होता है यानी जिस भाव या अनुभव की क्षणिक रचना वे मन में करते है, उनके इर्द-गिर्द एक आभावृक्ष की गुंजाइश रहती है। इस आभावृत्त को हम ऐसा निर्जन क्षेत्र को कह सकते हैं, जिसमें हमारी कल्पना कविता की मदद से थोड़ी देर विचार लेती है और ऐसा कुछ देखने में समर्थ हो जाती है जो निर्दिष्ट नहीं था- कवि के द्वारा तो नहीं ही था, हमारे होशियार मन द्वारा भी नहीं। इसी निर्जन क्षेत्र के दरवाजे खोलने की क्षमता के कारण ही कविता की शिक्षा के भाषा-शिक्षण की सामान्य, सीमित परिधि के परे जाने वाली शिक्षा माना जा सकता है। कविता ही भाषा-शिक्षण में यह मुक्तिदायी आयाम जोड़ सकती है। लेकिन यह संभावना तथाकथित कविताओं की मदद से नहीं खोली जा सकती जो हिंदी के पाठ्य-पुस्तक में अनिवार्य रूप से शामिल रहती हैं।
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प्रायः ' लक्ष्यार्थ ' कैसा दिखता है ?
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- मुख्यार्थ से मिलता-जुलता
- प्रतीकार्थ जैसा
- अभिधार्थ जैसा
- इनमें से कोई नहीं
- मुख्यार्थ से मिलता-जुलता
सही विकल्प: B
प्रायः लक्ष्यार्थ एक घिरते हुए पतिकार्य जैसा अवश्य दिखता है लेकिन यह प्रतिकार्य होता नहीं है।