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Direction: नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए. कुछ शब्दों को मोटे अक्षरों में मुद्रित किया गया है, जिससे आपको कुछ प्रश्नों के उत्तर देने में सहायता मिलेगी। दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त का चयन कीजिए।

रामू के पिता हमारी कोठी पर रोजाना आते और लॉन में लगे पौधों की देखभाल करते. कभी-कभी उनका बेटा रामू भी उनके साथ आ जाता और हम लोग आपस में खेलते. माली के बेटे के साथ खेलने पर मेरे घर में कोई एतराज नहीं करता था क्योंकि हम लोग एक ही स्कूल में पढ़ते थे. एक दिन उसने मुझे पूछा ‘मेरे घर चलोगी?’ मैं चहक कर तैयार हो गई।
रामू की मां और बहनें मुझे देखकर चकित और चमत्कृत थीं-जैसे वह कोई वर्जित, लेकिन साहसिक काम कर गुजरा हो-कुछ बेहद दुर्लभ-सी चीज उठा लाया हो.....
‘यह ......... यह राजी है ............ कोठीवालों की लड़की .......... राजरानी ..........’
उसकी माँ, मुझे किसी बड़ी प्यारी, कोमल और कीमती वस्त्र की तरह, मुग्ध दृष्टि से देखे जा रही थी।
‘तुम्हारी मक्खन और शक्कर चुपड़ी रोटी रोज यही खाती है. इसे अपनी मिसरानी के तेल बोथे परांठे, सब्जी और अचार बिल्कुल नहीं भाते. मोहन थाल और इमरतियाँ भी नहीं.‘ वह प्रशंसा के भाव से बिल्कुल नहीं, सिर्फ हकीकत के तौर पर बयान करता जा रहा था।
उसका छोटा भाई मेरी रेशमी फ्रॉक पर आराम से हाथ फेरता जा रहा था और उसकी बहनें मेरी बक्सुएवाली सैंडलें आंख बचाबचाकर देखे जा रही थीं .......... ऐसा लग रहा था कि उन सब भाई बहनों के जीवन का यह कोई खास दिन बन गया था. वे सभी आह्नादित थे।
अचानक वह कह बैठा - ‘इसके माँ ही नहीं है‘ उसके बोलने में दुख और सहानुभूति जैसा कोई भाव नहीं था. इस बार भी वो सिर्फ हकीकत ही बयान कर रहा था।
पलक झपकते ही मानो हर किसी के चमत्कृत से दीखते चेहरे पर सनसनाकर कुछ बैठ गया हो. सब अवाक् रह गए. इसका मतलब वो माँ का मोल समझते थे। मेरे लिए तो बुआ ही मेरी माँ थी क्योंकि मैने मां को कभी देखा ही नहीं. तब वह जैसे सबको जगाता-सा बोला - ‘लेकिन इसके घर मिसरानी, चमेली, दरबान और बुआजी हैं. भोंपूवाला ग्रामोफोन और बघर्रे की खालें भी .......... इसके दरबान के पास भी कोट है और पिता के पास विलायती हैट! .......... रामू जैसे किसी दूसरे लोक की अजीबोगरीब बातें बता रहा हो।
खुद मैंने ही क्या कम अजूबी बातें देखीं उसके यहाँ! मेरी फ्रॉक और बक्सुएदार सैंडलों का सम्मोहन तो बहुत थोड़ी ही देर रहा. उसके बाद तो उसकी एक बहन मेरे दोनों हाथ पकड़ तेज-तेज चकरी घूमने लगी और दूसरी घर के सामने इकड़ी-टूकड़ी खंचाने लगी. छोटा भाई और बहन सड़क से गुजरते रंग-बिरंगे गुब्बारों और पिपहरी के लिए माँ के कंधों पर झूलकर ठुनकने लगे. भाई तो इतना जिदियाया कि उसकी पीठ पर एक भरपूर धौल भी पड़ा, धप्प से. इससे बाकी के सारे खिलखिलाकर हंसने लगे और भाई पैर फैलाकर चिल्लाने लगा. तब तक बंदर के नाचवाला आ गया और सब बच्चों के साथ भाई भी रोना भूलकर नाच देखने के लिए भागा. लेकिन चूंकि उसका छुटका भाई बड़े बहन ने उसे अपनी गोद में लाद-सा लिया. नाच देखकर लौटे तो उसकी माँ ने पीतल की एक तश्तरी में तुरत-फुरत चूल्हे पर सिंकी और जरा सी मक्खन चुपड़ी खूब नरम-सी रोटी मुझे खाने को दी।
फिर बड़े प्यार से पूछा - ‘तुम्हें अच्छी लगती है न?’
मैंने खाते-खाते हाँ में गरदन हिलाई।

  1. गद्यांश से रामू और राजो के बारे में निम्नलिखित में से क्या धारणा (एँ) बनती है (हैं)?
    (1) दोनों मित्र है
    (2) रामू गरीब और राजो अमीर है।
    (3) रामू की माँ नहीं है और राजो का पूरा परिवार है।
    1. केवल (1)
    2. केवल (2)
    3. केवल (3)
    4. (1) व (2) दोनों
    5. (1) (2)व (3) तीनों
सही विकल्प: D

गद्यांश से यह पता चलता है कि रामू और राजो दोनों मित्र है और रामू गरीब और राजो अमीर है।



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